प्रदेश की ‘निर्भया’ को न्याय की उम्मीद / मप्र में 2019 में ज्यादती-हत्या के 9 मामलों में हुई थी फांसी

साल 2012 में हुए निर्भया कांड के आरोपियों को शुक्रवार सुबह 5 बजे फांसी दे दी गई है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2019 में ज्यादती और हत्या के जघन्य अपराध के 9 प्रकरणों में निचली अदालतों से आरोपियों को फांसी की सजा दी गई है। सभी मामलों को फांसी की सजा पर मुहर के लिए हाईकोर्ट भेजा गया।


हाईकोर्ट ने अब तक इनमें से 2 मामलों में फैसला सुनाया है। सात मामलों पर अभी फैसला आना बाकी है। इस साल यानि 2020 में भी अब तक ज्यादती और हत्या के 2 प्रकरणों में नरसिंहपुर और महू की कोर्ट से आरोपियों को फांसी की सजा हो चुकी है। ये मामले भी हाईकोर्ट में लंबित हैं। 



सजा के इन दो मामलों में कोर्ट ने किया बदलाव  
पिछले साल होशंगाबाद में 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के आरोपी दीपक किरार की फांसी की सजा हाईकोर्ट ने 35 साल की जेल में तब्दील की है। इसी तरह इंदौर में 4 साल की बच्ची से ज्यादती और हत्या के आरोपी हनी उर्फ कक्कू की फांसी की सजा हाईकोर्ट ने अंतिम सांस तक जेल में तब्दील की है। 
निचली अदालतों ने 11 प्रकरणों में सुनाई फांसी की सजा 


गौरतलब है कि वर्ष 2019 में प्रदेश की निचली अदालतों से कुल 11 प्रकरणों में फांसी की सजा सुनाई गई थी। इनमें से 9 मामले दुष्कर्म एवं हत्या के और एक ज्यादती का है। इन 10 प्रकरणों में 9 पीड़िताओं की उम्र 3 से 16 वर्ष के बीच है, जबकि एक पीड़िता की उम्र 75 वर्ष है।



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